सोनाई के इन्द्राक्षी यज्ञ से लेकर मुड़कटा महावीर तक की याद
फिल्म ज़फराबाद जौनपुर आख्यान में घटना और प्रवृत्ति दोनों के तौर पर आजादी की लड़ाई के दौरान के संघर्षों और उन सामाजिक-सांस्कृतिक आन्दोलनों को भी रेखांकित किया जा रहा है, जिन्होंने ज़फराबाद जौनपुर को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इसमें उन धार्मिक-आध्यात्मिक स्थलों की भी प्रस्तुति है, ज़फराबाद जौनपुर का कोई भी इतिहास कथन जिनके बगैर अधूरा रहेगा। इसमें सुजिया मऊ और मुड़कटा महावीर का भी जिक्र है और बरसठी के सोनाई क्षेत्र के इन्द्राक्षी यज्ञ का भी। मादरडीह में हम गहड़वाल राजा यशोविग्रह को ढूंढ रहे हैं तो ख़ालिस मुख़ालिस मस्जिद की भी असल कथा प्रस्तुत कर रहे हैं। ख़ालिस का अर्थ है जो फले हुए पेड़ के पत्ते गिन ले। और मुख़ालिस का अर्थ है जो फले हुए पेड़ के फल गिन ले। इसलिए किनके नाम पर उनके नाम पड़े रहे होंगे, और वे किस घटना की याद दिला रहे होंगे , इतिहास-पुराण के थोड़े से भी जानकार इस बात को जानते हैं।
हमें विश्वास है,फिल्म ज़फराबाद जौनपुर आख्यान से क्षेत्रीय, भारतीय और विश्व इतिहास तीनों की ही बढ़ोत्तरी होगी। पुराण कथा है- जब राजा वेन ने खुद को भगवान कहलवाने की कोशिश की तो भगवान ने लोगों की भाषा गड्ड-मदद कर दी। ताकि वे आपस में मिल न सकें। फिल्म ज़फराबाद जौनपुर आख्यान से संभवतः अब वह श्राप मिटेगा। फिल्म में इतिहास के साथ-साथ भाषाओं को भी ठीक से समझने की कोशिश की गयी है।
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