समर्थ और सजग बातचीत

पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान की कोशिश होती है कि सामाजिक मुद्दों पर सक्षमता और सजगता से राष्ट्रीय और सामाजिक हितों को देखते हुए बातचीत की जाए। जब भी ऐसे मौके आये हैं, बहुत प्रखरता से बातचीत की गयी है-- .

संजय राऊत के अपराध और बलात्कार को जौनपुर पैटर्न कहने पर --

१७ अक्टूबर, २०२१

संजय राऊत के कहे के खिलाफ पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान ने हिंदीभाषियों के कहे की अगुवाई की। श्री आर यू सिंह जैसे कई नेताओं से विस्तार से बात के गयी, और उसे प्रतिरोधी आवाज बनाने के लिए आम लोगों से जोड़ा गया। --

प्रश्न: इन दिनों सामना के संपादक और राज्य सभा सांसद संजय राऊत ने एक नया विवाद छेड़ दिया है। उन्होंने साकीनाका बलात्कार और बर्बरता काण्ड को जौनपुर पैटर्न की गंदगी कहा है। पूर्वांचल से होने वाले सारे के सारे प्रवास को अपराध, हत्या, बलात्कार आदि के घेरे में डाल दिया गया है।

उत्तर: संजय राऊत के मन में श्रमिक समाज के लिए जो मवाद भरा है, यह उसका परिणाम है। जो श्रमिक समाज बंजारा नहीं होता, जिसके स्थाई घर-द्वार, मां-बाप,भाई-बहन, अडोसी-पडोसी, नात-बांत, चाचा, ताऊ, नाना-नानी, मामा-मामी ,मौसा-मौसी होते हैं, वे दिहाड़ी या सीजनल काम-धंधे के लिए लश्कर बाँध कर नहीं निकलते। उनका परिवार उनकी मूल जगह पर ही स्थायी होकर रहता है। दुनिया भर में सीजनल या अस्थायी प्रवास का यही पैटर्न होता है। प्रवास स्थाई होता है तो वह स्थाई निवास में बदल जाता है। मुंबई और महाराष्ट्र के ज्यादातर उत्तर भारतीयों या परप्रांतीयों के साथ यही हुआ है। आ और जा वे रहे हैं, जो सीजनल काम -काज के लिए आ रहे हैं,और श्रमिक या कामगार वर्ग से हैं। इन्हीं के लिए रोज-रोज का फतवा जारी होता है कि वे कहाँ से आ रहे हैं , कहाँ जा रहे हैं, उनका रजिस्टर रखो। वे जैसे इस देश के लोग नहीं, किसी और लोक से आ रहे अनजाने प्राणी हों। २००८ से यह उपदेश भी दिया जा रहा है कि मुंबई और आसपास के इलाकों में होने वाले अपराध की घटनाएं परप्रांतीयों ( उत्तर भारतीयों) के कारण होती हैं। वे ही अपराधी, चोर, डकैत, बेईमान हैं। बिना किन्हीं तथ्यों के, ये आरोप केवल प्रतिस्पर्धी राजनीति की वजह से लगाए जाते हैं।

२००८ में हिंसा की जो घटनाएं हुईं, उसके बावजूद, महाराष्ट्र सरकार या मुंबई और महाराष्ट्र पुलिस ने भी कभी इस बात की जांच नहीं की कि शिवसेना या मनसे अपराध को लेकर जो फतवा देती हैं, और जिससे समाज में एक बड़ा विद्वेष फैलता है, उसकी जांच कराई जाए, और जो तथ्य हैं, उन्हें सामने रखा जाए। ऐसा किया गया होता तो शिवसेना या मनसे द्वारा फैलाया गया भ्रमजाल टूटता। या फिर परप्रांतीयों की ओर से भी कहीं कोई कमी होती तो वह भी सामने आती। और उसके सुधारात्मक उपाय किये जाते। पर, वैसा कुछ नहीं हुआ है।

शिवसेना अब कह रही है, कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता। तो फिर मैं पूछना चाहता हूँ कि अपराध का कोई प्रान्त होता है क्या? इसका जवाब तो सजय राऊत ही दे सकते हैं। इतना हम जानते हैं कि बाला साहेब ने ऐसा कभी नहीं कहा था। उन्होंने ऐसा कभी नहीं माना था। वे हिन्दू ह्रदय सम्राट थे। और यह उपाधि उन्होंने बड़े जतन से धारण की थी।

जो लोग उत्तर भारतीयों को मजदूर के रूप में और खुद को मालिक के रूप में देखना चाहते हैं, वे गहरे भ्रम में हैं। भाजपा भी सरकार में रही। लेकिन हम लोगों के मन में ऐसा कोई दुराव नहीं. इसलिए आरोपों को संभवतः उतनी गंभीरता से हम लोग नहीं ले पाते जितनी गंभीरता से उन्हें लेने की जरूरत है। व्यक्तिगत अपराधों को धर्म, जाति, संप्रदाय या प्रान्त के नज़रिये से देखना गुनाह है।

हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि मुंबई और आसपास के इलाकों में पिछले एक दशक में हुए अपराधों की जांच कराई जाए, और उत्तर भारतीयों के इनमें शामिल होने से लेकर, जौनपुर पैटर्न की गन्दगी आदि को लेकर श्वेत पत्र जारी किया जाए।

जो गलतफहमियां फैलाई जाती हैं, उन्हें दूर किया जाए।

जोधा-अकबर सीरियल के विवाद पर

पद्मावती फिल्म का मुद्दा हो या जोधा-अकबर सीरियल में जोधा के होने और न होने का सवाल रहा हो या फिर दुर्गा शक्ति नागपाल, सुशांत सिंह राजपूत की मौत या वीर कुंवर सिंह के किले के संरक्षण का सवाल रहा हो, पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान ने निर्भय होकर सत्य और न्याय के पक्ष में अभियान किया है। जोधा-अकबर सीरियल के मामले में तो पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान के प्रतिनिधि श्री ओम प्रकाश ने सीरियल निर्माता और उनके प्रतिनिधियों के सामने इतिहास के विवरण भी प्रस्तुत किये, जिसके बाद सीरियल में संशोधन करने का फैसला हुआ।

इन प्रयासों की बानगी के तौर पर प्रस्तुत है August 3, 2013 की पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान की यह प्रेस रिलीज़ --

August 3, 2013 · बदलेगा जोधा - अकबर सीरियल देश भर में हुए विरोध प्रदर्शन के कारण जोधा-अकबर सीरियल में बदलाव शुरू कर दिया गया है. जोधा को राजपूत \क्षत्रिय बताना बंद कर दिया गया है. स्क्रिप्ट में भी जातियों और समुदायों के खिलाफ कही जा रही बातों में संयम और शालीनता लाई गयी है. यह बदलाव सीरियल की प्रोड्यूसर एकता कपूर के पिता, मशहूर अभिनेता जितेन्द्र के सक्रिय हस्तक्षेप से आया है. उम्मीद की जा रही है कि संशोधन की यह प्रक्रिया अभी और आगे बढ़ेगी , और सीरियल में इस बात को स्पष्ट किया जायेगा कि बादशाह अकबर की जीवनी अकबरनामा में कहीं भी जोधा जैसी किसी रानी का कोई उल्लेख नहीं है .

अकबरनामा स्वयं अकबर ने लिखवाया था . इसे उनके दरबार के नौ रत्नों में से एक अबुल फजल ने लिखा था। इसमें अकबर को लेकर किसी प्रेम गाथा का भी कोई जिक्र नहीं है। इस बात का भी कहीं कोई जिक्र नहीं है कि अकबर ने राजपूत राजाओं से शादी -ब्याह के कई रिश्ते बना कर राज और समाज को प्रभावित करने की कोई कोशिश की थी .

उनके दरबार के दो और इतिहासकारों ने स्वतंत्र तौर पर भी उनकी जीवनी लिखी, पर उन्होंने भी जोधा जैसे किसी चरित्र के बारे में या राजपूतों के यहाँ शादी-ब्याह करके अपना प्रभाव बढ़ाने की अकबर की किसी नीति का कोई जिक्र नहीं किया है। अलग-अलग राजपूत\क्षत्रिय संगठनों के साथ हुई बातचीत में एकता कपूर के प्रतिनिधि स्क्रिप्ट को लेकर कोई तार्किक उत्तर नहीं दे पाए थे . घूम-फिर कर वे एक ही बात कहते कि मुग़ले आज़म फिल्म में ऐसा ही दिखाया गया था . बातचीत में यह बात बार-बार सामने आयी कि मुग़ले आज़म फिल्म का उल्लेख भी केवल एक कुतर्क में किया जा रहा है, और सारा मामला केवल एकता कपूर की सास-बहू समझ का है. उन्होंने इतिहास को भी सास-बहू सीरियल की तरह बनाना शुरू कर दिया था.

हरियाणा समेत देश के कई हिस्सों में हुए प्रभावशाली प्रतिरोध के बाद अखिल भारतीय क्षत्रिय सभा महाराष्ट्र के प्रतिनिधियों के साथ पिछले दिनों मुंबई के मैरिएट होटल में हुई बैठक में श्री जितेन्द्र ने वादा किया था कि वे इस मामले से जुड़े ऐतिहासिक पक्षों के बारे में समुचित राय लेकर उपयुक्त बदलाव करेंगे। महासभा के प्रतिनिधियों को उन्होंने सीरियल की स्क्रिप्ट में लाये गये बदलावों की सूचना दी है। समझा जा रहा है कि इस बारे में उनकी ओर से जल्द ही प्रेस रिलीज़ भी जारी की जायेगी। इतिहास की प्रामाणिकता में रुचि रखने वाले सभी लोगों को इस खबर से प्रसन्नता होगी। यह काम सभी के सहयोग से ही संभव हुआ है।

वरना तो आपने देखा ही , जयश्री मिश्रा ने केवल अपना उपन्यास बेचने के लिए रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र पर भी कीचड़ उछालने में कोई परहेज नहीं किया। जयश्री ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित सुप्रसिद्ध लेखक तकषी शिवशंकर पिल्लै की बहू हैं। अपने उपन्यास को प्रसिद्ध करने में वे अपने ससुर की शोहरत का भी इस्तेमाल कर रही थीं वह, तो सुश्री मायावती ने तुरंत ही उपन्यास पर प्रतिबन्ध लगा कर उनकी दुर्भावना को फैलने से रोका।

यह संयमन न हो तो चित्रकार मकबूल फ़िदा हुसैन की समझ में भी यह बात कहाँ उतर रही थी कि माता सीता की सुंदरता को गोस्वामी तुलसीदास की तरह भी सराहा जा सकता है- उनके शब्द थे - सोह नवल तन सुन्दर सारी /जगत जननि अतुलित छवि भारी।


सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर

सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच को लेकर पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान ने लगातार जन अभियान चलाए। एक ई - संवाद का यह निमंत्रण देखें-

सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच को लेकर पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान ने लगातार जन अभियान चलाए। एक ई - संवाद का यह निमंत्रण देखें-

सादर निमंत्रण / कृपया ५ सितम्बर, २०२०, ११ बजे से १ बजे मुंबई के हिंदी भाषी समाज के इस ई-संवाद में शामिल हों।-ओमप्रकाश , सचिव, पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान

Topic : Justice For Sushant

Start Time : Sat 05 Sep, 2020 11:00 AM Indian Standard Time

End Time : Sat 05 Sep, 2020 01:30 PM Indian Standard Time

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सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में जैसे एक यक्ष प्रश्न आकर खड़ा हो गया है-- राष्ट्रहित जीतेगा, अच्छाई और ईमान की जीत होगी या कि अपराधी, राजनेता, अफसर और कुछ प्रभावी लोग देश और समाज को हमेशा की तरह पछाड़ देंगे?

यह संशय छंटे, इसके लिए यह वक्त इन्साफ के पक्ष में जयकारा लगाने का है।

इस आशय से यह संवाद। आप भी सहभागी बनें।

मुंबई का औसत हिन्दीभाषी समाज राष्ट्रहित और न्याय के लिए सदैव मुखर रहा है। इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अब हर महीने पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान द्वारा एक वैचारिक संवाद आयोजित किया जाएगा। इस श्रृंखला का यह शुरुआती संवाद।

आमंत्रित वक्ता: सर्वश्री धर्मेंद्र चतुर्वेदी, आर यू सिंह, जय प्रकाश सिंह, उदय प्रताप सिंह, कुबेर मौर्या, सुमिता सुमन सिंह, सतीश मिश्रा, केशव शुक्ला , कृपाशंकर पांडे, श्रीनिवास तिवारी बागी, राजेश दुबे, नीतू सिंह और सुनील पांडे।

संचालन : पत्रकार ओमप्रकाश और शुभम सिंह।

आयोजन: पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान

वीर कुंवर सिंह के किले के संरक्षण के सवाल पर

वीर कुंवर सिंह के किले के संरक्षण के सवाल पर भी पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान ने जन अभियान चलाया।