जब संत कबीर के आश्रमों से उठी अश्लीलता विरोधी आवाज

पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान द्वारा २८ जुलाई २०१८ को शुरू किये गए अश्लीलता विरोधी अभियान को संत कबीर मठ ने बड़ा व्यापक समर्थन दिया। देखें उस समय की रपट ---

संत विवेक दास

संत कबीर के आश्रमों से उठेगी अश्लीलता विरोधी वाणी
संत विवेक दास बने अश्लीलता विरोधी अभियान का चेहरा

बहुत दिनों बाद कोई किताब, पूरी की पूरी एक सांस में पढ़ गया। किताब है संत विवेक दास आचार्य की लिखी, कबीर चौरा मठ: शून्य से शिखर तक। संत विवेक दास कबीर मठ के महंत हैं। और अद्भुत व्यक्तित्व हैं। उन्होंने कबीर पंथ को चौका-आरती जैसी यजमानी पद्धतियों से बाहर करके उसके मूल में फिर से संत कबीर की साधना पद्धति को स्थापित किया है। सत्संग और प्रवचन अब कबीर पंथ के मूल हैं। संत विवेक दास ने कबीर पंथ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहुँचाया है।

वे सामाजिक बदलाव के पुरोधा हैं, और उसी प्रेरणा से जीवन और अध्यात्म दोनों को जोड़ते हैं। वे नक्सलवादी आंदोलन को पीछे छोड़ कर साधुता की क्रांति में आये हैं, और कविता को भी हथियार बनाने की क्षमता रखते हैं-

कबीर मठ, वाराणसी
जिस लड़ाई की शुरुआत कबीर साहब ने छह सौ साल पहले की थी, उसकी तुलना में नक्सल आंदोलन तो कुछ भी नहीं है। नक्सल आंदोलन में भारतीयता की चिंता नहीं है और उसमें पवित्रता भी नहीं है। भारतवर्ष में गरीबों और किसानों के हक़ की लड़ाई कबीर साहब और उनकी कविता के हथियार से बहुत सार्थक ढंग से लड़ी जा सकती है। कबीर साहब की तेज विद्रोही कवितायें इस लड़ाई का तेज धारदार हथियार हो सकती हैं. उन्हें तो बस प्रयोग में लाने की जरूरत है।

पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान के अश्लीलता विरोधी अभियान को आशीर्वाद तो आपने पहले दिन से दे रखा था। बनारस की सभा के लिए आपने अपने संदेश में संत कबीर का भोजपुरी में लिखा एक पद भी दिया था. अब आपने आंदोलन को अपनी पहचान देना भी स्वीकार किया है। वे अश्लीलता विरोधी अभियान के ब्रांड एम्बेसडर भी होंगे। उन्होंने जिस दृष्टि से कृपापूर्वक इस प्रस्ताव को स्वीकार किया, उस दृष्टि का विस्तार देखिये -

यदि मेरा नाम, मेरा चेहरा, किसी अच्छे सामाजिक आंदोलन को समुचित पहचान देता है तो मैं सहर्ष प्रस्तुत हूँ ।