फिल्म ज़फराबाद जौनपुर आख्यान की शुरुआत इस समर्पण के साथ शुरू होती है
कि
``यह फिल्म दुनिया भर की उन तमाम ताकतों, अभियोजनों और
आन्दोलनों का समर्थन करती है जो अपनी खोयी हुई संस्कृतियों,
धार्मिक मान्यताओं, परम्पराओं , रीति-रिवाजों आदि को फिर से पाने
के लिए न्यायपूर्ण और लोकतान्त्रिक संघर्ष कर रहे हैं। इराक,
ईरान, अफगानिस्तान और अरब देशों समेत, अफ्रीका, एशिया और यूरोप
के कई संघर्षों के मूल में हम ऐसे ही संघर्ष की झलक पाते हैं।
दुनिया के और भी कई देशों में ऐसे संघर्ष किसी न किसी रूप में
हैं या होते रहते हैं। हम ऐसी सभी अभिव्यक्तियों की मूल भावना को
साथ और सहयोग देते हैं। और उनकी सफलता की कामना करते हैं। हम इस
बात को बहुत दृढ़ता से मानते हैं कि किसी की सभ्यता और संस्कृति
पर अपनी सभ्यता और संस्कृति थोप देना समूची मानवता के साथ किया
गया जघन्यतम अपराध है। ''
इस हवाले से जफराबाद जौनपुर आख्यान तुर्की स्थित हागिया सोफिया को
समर्पित है। जहां एक बड़े जन विरोध के बावजूद रोम के सम्राट
कोन्स्टान्टिन प्रथम ने सन ३२५ में एक पुराने धर्मस्थल को बदल कर
वहां गिरजाघर बनवा दिया। तकरीबन हजार साल तक यह गिरजाघर पूर्वी
रूढ़िवादी चर्च का केंद्र रहा। बाद में ओटोमन साम्राज्य के दौरान
१४५३ में इसे मस्जिद में बदल दिया गया। हागिया सोफिया किसी और के
धर्मस्थल को तोड़, बदल या नष्ट करके उसकी जगह पर अपना धर्मस्थल बना
लेने का वैश्विक प्रतीक बन गया है। मूल रूप से हागिया सोफिया आदि
भगवती, आद्या पराशक्ति का धाम है। ऋग्वेद का वाक् आम्भरिणी सूक्त
उन आदि पराशक्ति का वर्णन है। यह सूक्त है-
देवी मैं आदि पराशक्ति परमेश्वरी
रुद्र में बसु में आदित्य विश्वेदेव में
मित्र में वरुण में; इंद्र और अग्नि देव में
घूम रही मैं ही हो एक से अनेक
भक्तों को दे रही हूँ मैं ही अभीष्ट
पाल रही पूषा को पोस रही भग को
धार रही त्वष्टा संवार रही सोम को
ईश्वरी हूँ ईश्वरी मैं वाक् आम्भरिणी
आत्मा में पा लिया है मैंने परब्रह्म को
सारा द्युलोक यह मुझसे ही जन्मा
कारण समुन्दर से लेती हूँ सांस
सृष्टी के सब काम मुझमें ही मेरे लिए
प्रथम पूजनीया मैं हर घट निवास
देवी मैं आदि पराशक्ति परमेश्वरी
स्पेन की कॉर्डोबा स्थित मस्जिद/गिरजाघर भी दूसरे के धर्मस्थल को
तोड़ कर वहां अपना धर्मस्थल बना लेना को दूसरा बड़ा प्रतीक है।
लेकिन, खोज तो इस बात की भी होनी चाहिए कि गिरजाघर भी बनने के
पहले वहां क्या था?
फिल्म तिब्बत और सिंकियांग के स्वाधीनता आंदोलन का भी समर्थन
करती है, और उन अत्याचारों का निषेध करती है, जो वहां के लोगों
पर किये जा रहे हैं।