पूर्वांचल सदियों-सदियों से प्रवास और प्रव्रजन की पीड़ा झेल रहा है। पूर्वांचल विकास प्रतिष्ठान का उद्देश्य पूर्वांचल व देश के दूसरे प्रवास-प्रव्रजन प्रभावित इलाकों की आर्थिक-औद्योगिक गतिविधियों को तेज करना और उसके लिए जरूरी सामाजिक-सांस्कृतिक बदलावों के लिए काम करना है।
संस्था ने सामाजिक-सांस्कृतिक बदलावों के लिए २०१५ से काम करना शुरू किया, लेकिन गतिविधियों में इजाफा २०१५ से आया। २०१५ में लखनऊ में चतुर्थ श्रेणी की ३६८ भर्तियों के लिए २३ लाख से अधिक लोगों ने आवेदन किया, जिनमें डेढ़ दर्जन से ज्यादा पीएचडी और कई हजार इंजिनीरिंग ग्रेजुएट्स और दूसरे ऊंची पढाई किये लोग भी शामिल थे। स्थितियां बदल रही हैं, लेकिन बढ़ती आबादी स्थितियों को नहीं बदलने देती। स्थितियां बदलें इसके लिए जरूरी है कि सामाजिक-सांस्कृतिक स्तर पर बदलावों के लिए ज्यादा सक्रियता से काम किया जाए, और सब कुछ सरकार के भरोसे ही नहीं छोड़ा जाए।